वाशिंगटन, प्रेट्र। कोरोना महामारी फैलने की शुरुआत में संक्रमण को फैलने से रोकने की दिशा में लाकडाउन से लेकर अन्य कई तरह के उपाय अपनाए गए। यह धारणा बनी कि बैंक नोट से भी कोरोना वायरस फैलता है। इसलिए आपसी लेन-देन में नकदी का व्यवहार कम हुआ और कई संस्थानों ने नकदी लेन-देन पर पाबंदी भी लगाई। यहां तक कि लोग नोट को सैनिटाइज भी करने लगे। लेकिन अब एक अध्ययन में सामने आया है कि बैंक नोट पर सार्स-सीओवी-2 (आम भाषा में कोरोना वायरस) तो तत्काल खत्म हो जाता है। उससे तो ज्यादा खतरा डेबिट, क्रेडिट से है, जिस पर वायरस काफी देर तक सक्रिय बना रह सकता है। पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है कि कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए नकदी के बजाय क्रेडिट, डेबिट कार्ड से लेन-देन को बढ़ावा कतई उपयुक्त नहीं है।

शोधकर्ताओं ने पाया है कि वायरस प्लास्टिक मनी पर ज्यादा स्थिर रहता है और यह उस पर जमा होने के बाद 48 घंटे तक जिंदा रहता है। हालांकि अध्ययन के लिए एकत्र किए गए नकदी या कार्ड के सैंपल पर वायरस को सक्रिय नहीं पाया गया।

इस अध्ययन के लेखक अमेरिका स्थित ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिचर्ड रोबिसन ने कहा, महामारी की शुरुआत में इस बात को लेकर बड़ा हो-हल्ला हुआ कि कोरोबार में नकदी का इस्तेमाल बंद किया जाए। बहुत सारे प्रतिष्ठानों ने इसे अपनाते हुए एलान कर दिया कि वे नकदी नहीं बल्कि डेबिट, क्रेडिट कार्ड से व्यवहार करेंगे। इसलिए मैंने सोचा कि क्या डाटा भी इस धारणा का समर्थन करते हैं? लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। फिर हमने इसकी पड़ताल करने का निर्णय किया कि ये बातें तार्किक हैं या नहीं। इसमें भी वैसी कोई बात नहीं समझ में आई।