
जिले में लोगों पर कोरोना महामारी के साथ वायु प्रदूषण की दोहरी मार पड़नी शुरू हो गई है। हवा में नमी के साथ ही आसमान में स्माग छाने लगा है और हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में पहुंच गई है। जहरीली हवा से कोरोना का हमला और अधिक खतरनाक होने लगा है। इसके अलावा मौत के आंकड़ों में भी बढ़ोतरी होने का खतरा है। ऐसे में सावधानी ही संक्रमण से बचाव और प्राणों की रक्षा का एकमात्र उपाय है। मेट्रो अस्पताल के सांस रोग विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ सलाहकार डॉ. दीपक प्रजापत बताते हैं कि कोरोना के साथ-साथ घातक प्रदूषण फेफड़ों पर हमला करने को तैयार है। जिले में प्रतिदिन प्रदूषण का दायरा बढ़ रहा है। इससे अस्थमा, टीबी, त्वचा रोग से लेकर कैंसर जैसी घातक बीमारियां लोगों को घेर रही हैं। इसलिए सिर्फ कोरोना संक्रमण से ही नहीं बल्कि प्रदूषण से भी बचाव जरूरी है। औद्योगिक इकाईयों से निकलने वाले धुएं में कार्बन डाइआक्साइड व कार्बन मोनोआक्साइड की अधिकता से फेफड़े कमजोर होते हैं। इससे सांस संबंधी बीमारी बढ़ती है। ये टीबी का रूप भी ले लेती हैं। इसके साथ ही शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी व दिमाग पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।