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सब्सिडी घोटाला :हेराफेरी से बिका हर दूसरा दोपहिया वाहन, सरकार ने रकम में की कटौती, महंगी हो जाएंगी गाड़ियां – Subsidy Scam: Every Second Two-wheeler Sold By Rigging, Government Cuts Amount, Vehicles Will Become Expensive

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दो पहिया ईवी (सांकेतिक तस्वीर)।
– फोटो : सोशल मीडिया

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सब्सिडी लेने के नाम पर इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनियों ने बड़ा हेर-फेर किया है। हर दूसरा वाहन इस हेराफेरी के जरिये बिका है। इसे देखते हुए सरकार ने गलत तरीके से ली गई कंपनियों की सब्सिडी राशि में कटौती कर दी है। इससे एक जून से कई कंपनियों के इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन 25-40 हजार रुपये तक महंगे हो जाएंगे।

हेरा-फेरी की जांच से जुड़े लोगों का दावा है कि स्थानीयकरण के मानकों को पूरा करने के नाम पर कंपनियों ने सरकार से सब्सिडी हासिल कर ली है। हकीकत यह है कि कंपनियों ने विदेश से कलपुर्जे मंगाकर वाहनों का निर्माण किया और सरकार से सब्सिडी ले ली। इस मामले की जांच कर रही एजेंसी ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि कंपनियों ने इलेक्ट्रिक मोटर, कंट्रोलर और ऑन बोर्ड चार्जर्स को विदेश से मंगाकर दो पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण किया है।

सरकार ने रोकी 1400 करोड़ की सब्सिडी

 

सरकार ने इस खुलासे के बाद 1400 करोड़ रुपये की सब्सिडी रोक दी है। फेम सब्सिडी के तहत हेरा-फेरी को लेकर हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा और ओला, ग्रीव्स कॉटन के नाम सामने आए हैं। आरोप हैं कि इन कंपनियों ने फेम-2 स्कीम के तहत सब्सिडी पाने के लिए विदेशी पुर्जों का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक स्कूटर्स में किया और उन्हें घरेलू बताया है।

    • केंद्र सरकार ने ओकिनावा ऑटोटेक पर 116 करोड़ का रिकवरी नोटिस जारी किया है। हीरो इलेक्ट्रिक को 133 करोड़ रुपये वापस करने को कहा गया है। ओला इलेक्ट्रिक 130 करोड़ रुपये लौटाने का तैयार हो गई है।

 

फेम-2 के तहत कीमत 1.50 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए

 

केंद्र सरकार फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक (फेम) योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों को सब्सिडी देती है। सब्सिडी लेने लिए कंपनियों को दो पहिया वाहन की कीमत अधिकतम 1.5 लाख रुपये रखना होता है। वाहन में लिथियम ऑयन बैटरी का इस्तेमाल भी जरुरी है। वहीं 50 फीसदी से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग स्थानीय स्तर पर होनी चाहिए।

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