कौमी पत्रिका
Business

Investment: जांच-परखकर करें निवेश, अफवाहों से बचें, निवेशकों को राहत नहीं मिलने वाली – Invest After Checking, Avoid Rumors, Investors Will Not Get Relief

banner
 

निवेश (सांकेतिक तस्वीर)।
– फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

शेयर बाजार में निवेश अफवाहों या खबरों के आधार पर कई बार आपको जमीन पर ला पटकता है। ऐसे बहुतेरे मामले सामने आए हैं, जब निवेशकों की गाढ़ी कमाई इन वजहों से डूब गई है। ताजा मामला अदाणी समूह का है। इस पूरे मामले में अब सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त समिति की रिपोर्ट ने उन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है जो अदाणी समूह को और नीचे गिराने की प्रतीक्षा कर रहे थे।

दुर्भाग्य से, इस तरह का माहौल खड़ा किये जाने से किसी भी तरह से निवेशकों को कोई राहत नहीं मिलने वाली है, क्योंकि शेयरों को अपने पिछले स्तर पर वापस आने में काफी समय लगेगा। पैरा 103 में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि अदाणी के शेयरों ने आंशिक रूप से अपने नुकसान की भरपाई की है, पर उस स्तर पर नहीं, क्योंकि बाजार सेंटिमेंट को भी महत्व देता है।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने सेबी के संदेह को बढ़ाया

 

हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने सेबी के संदेह को बढ़ा दिया है। सवाल यह भी है, जब कोई कहता है कि एसबीआई या एलआईसी डूब जाएगा। या अदाणी, माल्या-नीरव मोदी की तरह भाग जाएगा। लेकिन, इससे पहले यह समझना जरूरी है कि इनकी विश्सनीयता क्या है।

एसबीआई के पास सबसे बड़ा ग्राहक आधार है। सभी म्यूचुअल फंड कंपनियों की संपत्तियों से ज्यादा एलआईसी के पास पॉलिसी हैं। इन खबरों से अगर कल एलआईसी-एसबीआई कारोबार खो देते हैं, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?

 

 

शेयरधारकों को भारी नुकसान

 

देखा जाए तो समिति को किसी भी आरोप में कोई सच्चाई नहीं मिली, फिर भी शेयरधारकों को बहुत नुकसान हुआ है। शोध और विवेक का इस्तेमाल किए बिना सभी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को एक सच्चाई के रूप में स्वीकार किया। जिस समय रिपोर्ट आई उसने इसके भरोसे को और भी ज्यादा हिला दिया। इन सबका असर कर्मचारियों और निवेशकों पर पड़ेगा। पर, जो अहम सवाल है, वह यह कि जो नुकसान निवेशकों का हुआ है, क्या उसकी भरपाई वे लोग कर सकते हैं, जिन्होंने इस रिपोर्ट के भरोसे पूरे बाजार को तहस नहस कर दिया।

संदेह के आधार पर जारी है जांच

 

इस प्रकरण में कानून का उल्लंघन साबित नहीं हुआ है और जांच केवल संदेह के आधार पर जारी है। इस स्तर पर दो सवाल उठते हैं। संदेह की सीमा क्या है और तलवार कितनी देर तक लटक सकती है? क्या यह अनिश्चितकालीन हो सकता है? समिति ने खुद सुप्रीम कोर्ट के मामलों के आधार पर कहा है कि जांच को समाप्त करने की एक अवधि होनी चाहिए। मौजूदा कीमत न केवल गवर्नेंस के मुद्दों की जटिलता को दर्शाती है, बल्कि वृद्धि की उन बाधाओं को भी दर्शाती है जिससे समूह को सामना करना पड़ रहा है। सेबी के साथ केवल सहानुभूति रखी जा सकती है, क्योंकि सभी पक्षों से सेबी पर बेवजह दबाव भी पड़ता है।

    • समिति ने स्पष्ट रूप से निष्कर्ष निकाला है कि मौजूदा कानून के अनुसार, न्यूनतम शेयर धारिता (एमपीएस) मानदंडों का किसी भी तरह से उल्लंघन हुआ है, ऐसा कहीं से भी साबित नहीं हुआ है, फिर भी संदेह बना हुआ है।

 

 

हम एलआईसी, एसबीआई और अदाणी के शेयर धारकों को क्या संदेश देना चाहते हैं? अगर कल एलआईसी और एसबीआई अपना कारोबार खो देते हैं, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? निवेशकों का जो घाटा हुआ है, क्या उन्हें मुआवजा मिल सकता है? अगर नहीं तो फिर निवेशकों को कहां न्याय मिलेगा। -जीएन वाजपेयी, पूर्व चेयरमैन, सेबी

शेयरों में सुधार से निवेशकों को उम्मीदें

 

जनवरी में आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद से अदाणी समूह के शेयर जो टूटे थे, वहां से करीब 40 फीसदी तक चढ़ चुके हैं। पर, सवाल सिर्फ इस समूह का नहीं है। ऐसा कई बार देखा गया है। किसी भी रिपोर्ट का नतीजा बाद में कुछ भी हो, पर निवेशकों के घाटे की भरपाई करने और उनका भरोसा बहाल करने में बहुत समय चला जाता है। इसलिए निवेशकों को खबरों के आधार पर निवेश रणनीति नहीं बदलनी चाहिए।

Related posts

Report:छोटे शहरों में हर हफ्ते 2.25 घंटे ऑनलाइन खरीदारी कर रहे ग्राहक, कर्मियों की संख्या एक हजार करेगी शाओमी – Customers Shopping Online For 2.25 Hours Every Week In Small Towns

शिमला में ‘द ट्रिब्यून रियल एस्टेट एक्सपो’ आज से

Share Market Holiday Today:शेयर बाजार में आज बकरीद की छुट्टी, बीएसई और एनएसई में नहीं होगा कारोबार – Share Market Holiday Today Sensex Nifty Closing Today Share Market News And Updates Today

Leave a Comment