इमरान खान (फाइल फोटो)।
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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) से इस्तीफों देने वालों की कतार लगी हुई है। पीटीआई के तीन नेताओं ने गुरुवार को पार्टी छोड़ने की घोषणा की।
पाकिस्तान मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मलीका बुखारी ने इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने नौ मई को हुई घटना की निंदा की। उन्होंने कहा कि हर पाकिस्तानी के लिए यह घटना बहुत दर्दनाक हैं। पार्टी से अलग होने की घोषणा करते हुए बुखारी ने कहा कि वह किसी दबाव में नहीं थीं और किसी ने यह निर्णय लेने के लिए बाध्य नहीं किया। बुखारी ने अदियाला जेल से रिहा होने के कुछ ही घंटों बाद पार्टी छोड़ दी। उन्हें लोक व्यवस्था बनाए रखने की धारा 4 के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। वहीं, चीमा ने एक अलग संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पीटीआई प्रमुख की गिरफ्तारी के बाद हुई हिंसा के कारण वह और उनकी पत्नी इमरान खान के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ नहीं रह सकते।
पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री असद उमर ने पीटीआई के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। उमर ने अदियाला जेल से रिहा होने के तुरंत बाद यह घोषणा की। उमर ने बुधवार को इस्लामाबाद में नेशनल प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने फैसले की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में पार्टी का नेतृत्व करना संभव नहीं है। इससे पहले, पीटीआई के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री फवाद चौधरी ने इस्तीफा दे दिया है।
नौ मई को यह हुई थी हिंसा
पाकिस्तान सरकार के आदेश पर नौ मई को खान को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद पीटीआई कार्यकर्ताओं ने जिन्ना हाउस, मियांवाली एयरबेस, आईएसआई भवन सहित एक दर्जन सैन्य प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की थी। रावलपिंडी के सैन्य मुख्यालय पर भी भीड़ ने हमला किया था। पुलिस के अनुसार, हिंसा में करीब 10 लोगों की मौत हुई थी। वहीं पीटीआई का दावा है कि सुरक्षाबलों की फायरिंग में उनके पार्टी के करीब 40 लोगों की मौत हो गई। सुरक्षाबलों ने इसके बाद कई पीटीआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया, जिनमें कई पूर्व मंत्री भी शामिल थे।
यह है पूरा मामला
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीटीआई नेता इमरान खान ने अपनी याचिका में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, पीएमएल-एन चीफ नवाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम नवाज, पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी, मौलाना फजलुर रहमान सहित अन्य लोगों पर आरोप लगाया है। खान ने याचिका में कहा कि सेना अधिनियम 1952 के तहत नागरिकों की गिरफ्तारी, जांच करना और केस दर्ज करना असंवैधानिक है। खान ने कहा कि पीटीआई को जबरन खत्म करने की कोशिश करना पूर्ण रूप से असंवैधानिक है। यह संविधान के अनुच्छेद 17 के खिलाफ है। बता दें, पाकिस्तानी सरकार ने पंजाब, खैबर-पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और इस्लामाबाद में अनुच्छेद 245 लागू किया था, जिसका विरोध करते हुए खान ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के फैसले को चुनैती दी है।