IPS Shivdeep Lande: बिहार कैडर के चर्चित आईपीएस अफसर शिवदीप लांडे ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसकी जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक के माध्यम से दी। उन्होंने इस्तीफा देने के पीछे कोई खास वजह नहीं बताई है।
बिहार आने से पहले IPS शिवदीप लांडे का फेसबुक पोस्ट, बताया किस बात की रह गई कसक! –
बिहार को खुद से और अपने परिवार से भी ऊपर माना है- Shivdeep Lande
पूर्णिया रेंज के आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे ने गुरुवार को अपने फेसबुक अकाउंट पर इस्तीफा देने की जानकारी साझा करते हुए लिखा, ”मेरे प्रिय बिहार, पिछले 18 वर्षों से सरकारी पद पर अपनी सेवा प्रदान करने के बाद आज मैंने इस पद से इस्तीफा दे दिया है। इन सभी वर्षों में मैंने बिहार को खुद से और अपने परिवार से भी ऊपर माना है। अगर मेरे बतौर सरकारी सेवक के कार्यकाल में कोई त्रुटि हुई हो तो मैं उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं। मैंने आज भारतीय पुलिस सर्विस (आईपीएस) से त्यागपत्र दिया है, परंतु मैं बिहार में ही रहूंगा और आगे भी बिहार मेरी कर्मभूमि रहेगी।” वहीं, मीडिया से बात करते हुए आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे ने इस्तीफा देने की वजह बताई। उन्होंने कहा कि मैंने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दिया है।
ये हैं IPS शिवदीप लांडे, महाराष्ट्र सरकार ने ATS में दी बड़ी जिम्मेदारी; संघर्षों के बाद बने थे अफसर | It is IPS Shivdeep Lande of Bihar cadre, who has been made
लोगों के बीच ‘सिंघम’ के नाम से हैं मशहूर
बता दें कि आईपीएस अफसर शिवदीप लांडे की पहचान लोगों के बीच ‘सिंघम’ के नाम से भी मशहूर है। वह मूलत: महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। हालांकि, उनका अधिकांश समय बिहार में गुजरा है। साल 2006 बैच के आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे बिहार के कई जिलों में अपनी सेवा दे चुके हैं। वह पटना, अररिया, मुंगेर के एसपी भी रहे हैं।
बिहार में ही रहकर करेंगे काम
इस्तीफा देने के बाद आईपीएस शिवदीप लांडे ने कहा उन्होंने साफ कहा कि वह आगे बिहार में ही रहेंगे और बिहार ही उनकी कर्मभूमि होगी। शिवदीप लांडे के इस्तीफा देने के बाद सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर चर्चा होने लगी है कि अब वो किस क्षेत्र की ओर रुख करेंगे। सबसे ज्यादा इस बात पर चर्चा हो रही है कि वह राजनीति में अपनी अगली पारी की शुरुआत कर सकते हैं।
बता दें कि बीते कुछ सालों में कई ऐसे नौकरशाह रहे हैं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा है। इनमें डीजीपी रहे डीपी ओझा हों या फिर गुप्तेश्वर पांडेय, यहां तक कि आशीष रंजन, अशोक गुप्ता तक ने राजनीति में कदम रखा। हालांकि, सियासत में इन्हें कोई खास पहचान नहीं मिल सकी।