कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक अंतरिम आदेश जारी कर पश्चिम बंगाल सरकार की प्रस्तावित सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत ग्रुप सी और ग्रुप डी के बर्खास्त गैर-शिक्षकीय कर्मियों को 25,000 रुपये और 20,000 रुपये मासिक भत्ता देने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी। यह रोक उच्चतम न्यायालय में लंबित पुनर्विचार याचिका पर फैसला आने तक जारी रहेगी।
न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल पीठ ने यह आदेश पारित किया। राज्य सरकार के आदेश को चुनौती देने वाले अधिवक्ता फिरदौस शमीम ने मीडिया को बताया कि न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि सरकार 26 सितंबर 2025 तक इस योजना पर आगे कोई कार्रवाई नहीं कर सकती।
शमीम ने बताया कि अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह चार सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दायर कर यह स्पष्ट करे कि सरकार इन बर्खास्त कर्मचारियों को भत्ता देने पर क्यों विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि अदालत ने उन्हें राज्य के हलफनामे के प्रस्तुत होने के बाद दो सप्ताह में एक और हलफनामा प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मई में इन बर्खास्त कर्मचारियों को राहत देने के लिए यह मासिक भत्ता योजना घोषित की थी, लेकिन अदालत ने नौ जून को सवाल किया था कि क्या यह भत्ता बिना किसी कार्य के दिया जायेगा या उनसे कोई सेवा ली जायेगी।