नेशनल डेस्क: मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के पास अरब सागर में हुए दर्दनाक हादसे ने शहर को झकझोर कर रख दिया। एलिफेंटा की ओर जा रही नीलकमल नामक फेरी बोट इंडियन नेवी की एक स्पीड बोट से टकरा गई, जिसके चलते नाव पलट गई। बोट में 100 से अधिक लोग सवार थे, जिनमें से 13 की मौत हो गई, जबकि 20 बच्चों समेत करीब 100 लोगों को बचा लिया गया। मरने वालों में 4 नौसेना अधिकारी भी शामिल हैं।
कैसे हुआ हादसा?
सूत्रों के मुताबिक, नेवी की स्पीड बोट इंजन ट्रायल पर थी, तभी कैप्टन का कंट्रोल छूट गया और बोट ने नीलकमल फेरी से टक्कर मार दी। टक्कर से फेरी बोट का संतुलन बिगड़ गया, जिससे बोट में पानी भरने लगा और वह पलट गई। चीख-पुकार के बीच सभी यात्री पानी में गिर गए।
रेस्क्यू ऑपरेशन: जिंदगी बचाने की जद्दोजहद
- नेवी, कोस्ट गार्ड और मछुआरों का सहयोग:
रेस्क्यू ऑपरेशन में इंडियन नेवी की 11 बोट, मरीन पुलिस की 3 बोट, कोस्ट गार्ड की एक बोट और 4 हेलीकॉप्टर लगाए गए। - रेस्क्यू टीम की आंखों देखी:
मुंबई पोर्ट ट्रस्ट की बोट पूर्वा के चालक आरिफ बामने ने बताया कि महिलाओं और बच्चों को बचाने की कोशिश सबसे पहले की गई। उन्होंने कहा कि यह उनका सबसे बड़ा और भावुक बचाव अभियान था। आरिफ बामने के अनुसार, प्राथमिकता महिलाओं और बच्चों को बचाने की थी। मछली पकड़ने वाली नाव और एक टूरिस्ट बोट पहले ही वहां पहुंच चुकी थीं और बचाव कार्य में जुटी थीं। उनकी टीम जवाहर दीप से मुंबई लौट रही थी, जब कंट्रोल रूम से हादसे की सूचना मिली। उनके साथ सिर्फ 4 लोग थे, लेकिन उन्होंने अन्य टीमों के पहुंचने से पहले ही लोगों को बचाने की हर संभव कोशिश की। उन्होंने बताया, “मदद के लिए चीख-पुकार कर रहे लोगों में 3-4 विदेशी भी थे। हमने लगभग 20-25 लोगों को बचाकर नौसेना की रेस्क्यू बोट में शिफ्ट किया।”मुख्यमंत्री की घोषणा और जांच के आदेश
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया। हादसे की जांच के लिए पुलिस और नेवी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।