IAS Coaching Classes in Delhi: दिल्ली में हुए बेसमेंट हादसे के बाद आईएएस कोचिंग की काफी चर्चा हो रही है. ऐसे में आज जानते हैं कि देश में इन कोचिंग सेंटर्स का कितना बड़ा व्यापार है.
जैसे ही आप करोल बाग स्टेशन से ओल्ड राजेंद्र नगर की तरफ जाते हैं आपको अलग ही नजारा देखने को मिलता है. आपको हर तरफ आईएएस कोचिंग के विज्ञापन दिखते हैं और कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के एजेंट भी घूमते रहते हैं, जो आपसे आईएएस कोचिंग के बारे में पूछते हैं. अभी इसी ओल्ड राजेंद्र नगर में हुए बेसमेंट हादसे के बाद से इन कोचिंग संस्थानों की काफी चर्चा हो रही है, जो यूपीएससी परीक्षाओं की तैयारी करवाते हैं. साथ ही लोग कोचिंग सेंटर्स की फीस, उनके व्यापार पर भी बात कर रहे हैं. ऐसे में सवाल है कि आखिर कोचिंग संस्थानों का व्यापार कितना बड़ा है और कहां-कहां इनके हब हैं और ये किस तरह काम कर रहे हैं. तो जानते हैं इन सवालों का जवाब…
कोचिंग के बिजनेस के बारे में बताने से पहले बताते हैं कि ये कैसे बड़ा मार्केट बन रहा है. हर साल लाखों परीक्षार्थी यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में हिस्सा लेते हैं, जिसमें से 1000 के आसपास बच्चे ही परीक्षा पास कर पाते हैं और अफसर बन पाते हैं. जैसे साल 2017 की बात करें तो उस साल 4.5 लाख छात्रों ने परीक्षा में हिस्सा लिया था और आखिरी में 990 स्टूडेंट ही पास हो पाए थे यानी सिर्फ 0.2 फीसदी बच्चे पास हुए थे.
2016 से 2013 तक सक्सेस रेट ये ही रही है और 0.2 से 0.4 फीसदी स्टूडेंट ही सफल हो पाते हैं और बाकी कैंडिडेट्स फिर से तैयारी करते हैं. साल 2024 में प्री परीक्षा में करीब 13 लाख छात्र उपस्थित हुए थे, अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मार्केट एरिया कितना बड़ा है.
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में हिस्सा लेने वाले कैंडिडेट्स में आधे से ज्यादा उम्मीदवार कोचिंग से पढ़ाई करते हैं. 2020 में करवाए एक सर्वे में पता चला था कि 55.6 फीसदी उम्मीदवार तैयारी के लिए कोचिंग में हिस्सा लेते हैं और 26.4 फीसदी बिना कोचिंग पढ़ाई करते हैं. वहीं 18 फीसदी बच्चे ऑनलाइन रिसोर्स और मैटेरियल के जरिए पढ़ाई करते हैं. वहीं, एक और सर्वे में पता चला था कि करीब 58 फीसदी बच्चे कोचिंग इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेकर तैयारी करते हैं. इनके अलावा 24 फीसदी बिना कोचिंग, 18 फीसदी ऑनलाइन मैटेरियल से पढ़ाई करते हैं.
अब कोचिंग सेंटर्स का व्यापार काफी बढ़ गया है और इसमें कई कोचिंग संस्थानों की हिस्सेदारी है. लेकिन, इन सेक्टर में कुछ बड़े प्लेयर हैं, जिनका दावा है कि उनके यहां हर साल 10 हजार से 12 हजार तक छात्र पढ़ाई करने आते है. कई कोचिंग संस्थानों की पूरे भारत में ब्रांच हैं. इसमें सबसे आगे दिल्ली को माना जाता है, जहां ओल्ड राजेंद्र नगर, साउथ कैंपस आदि क्षेत्रों में काफी कोचिंग संस्थान है. दिल्ली के अलावा प्रयागराज, जयपुर, हैदराबाद, पटना भी कोचिंग सेंटर्स के हब बनते जा रहे हैं.
सबके अपने अपने दावे..
हर एक कोचिंग संस्थान परीक्षा पास करने को लेकर दावा करता है. एक कोचिंग सेंटर 990 बच्चों में से 244 बच्चों के पास होने का दावा करता है तो कोई 400 से ज्यादा बच्चों के पास होने का दावा करता है. कई कोचिंग सेंटर 200 से 300 उम्मीदवार पास होने का दावा करता है. वैसे रिजल्ट आने के बाद टॉपर्स की फोटो विज्ञापन में छापने की भी अलग कहानी है.
कितनी है फीस?
हर कोचिंग संस्थान की अपनी यूएसपी है और उसके नाम पर उम्मीदवारों से पैसे मांगे जा रहे हैं. कोचिंग संस्थानों में 10 हजार से 2 लाख रुपये तक की फीस है और ये फीस कोचिंग संस्थान और उनकी ओर से ली जा रही सुविधाओं पर आधारित है. अधिकतर कोचिंग सेंटर्स में फाउंडेशन कोर्स ऑफलाइन, फाउंडेशन कोर्स ऑनलाइन, लाइव ऑनलाइन, टेस्ट सीरीज, QIP क्लासेज, टेस्ट आदि के आधार पर कोर्स डिवाइड हैं.
जिस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में हादसा हुआ था, उसकी फीस की बात करें तो जनरल स्टडीज के ऑफलाइन फाउंडेशन कोर्स की फीस एक लाख 75 हजार रुपये है.इसमें लाइव ऑनलाइन कोर्स की फीस 95,500 रुपये है. वहीं ऑप्शनल मेंस फाउंडेशन कोर्स की फीस 55,500 रुपये है, इसमें ऑनलाइन कोर्स की फीस 45,500 रुपये है. वहीं सीसैट फाउंडेशन कोर्स की फीस 18,500 रुपये है. इसमें ऑनलाइन कोर्स की फीस 12,500 रुपये है.
कितना बड़ा है व्यापार?
वैसे कोचिंग सेंटर्स को लेकर कोई अलग से स्टडी नहीं है, लेकिन बताया जाता है कि आईएएस कोचिंग का कारोबार अरबों में है. द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, ये कारोबार 3000 करोड़ का है. वहीं, पूरे भारत में सभी कोचिंग सेंटर्स का कारोबार 58 हजार करोड़ का माना जाता है. कहा जाता है कि ये कारोबार 2028 तक 1.3 लाख करोड़ तक का हो जाएगा. इसमें आईएएस कोचिंग का कारोबार 3000 करोड़ रुपये का है.

