निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई ने रविवार को कहा कि विधेयकों की मंजूरी के वास्ते राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समयसीमा की व्यवस्था को समाप्त करने का उच्चतम न्यायालय का निर्णय एक संतुलित फैसला है, क्योंकि संविधान इसकी अनुमति नहीं देता, लेकिन राज्यपाल भी विधेयकों को अनिश्चितकाल तक रोककर नहीं रख सकते। अपने सरकारी आवास पर मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत में न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि संविधान शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत पर आधारित है और जहां समय-सीमा का उल्लेख नहीं है, वहां अदालत अपने स्तर पर समय-सीमा तय नहीं कर सकती। न्यायमूर्ति 23 नवंबर (रविवार) को सेवानिवृत हो रहे हैं, जबकि शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में उनका आखिरी कार्यदिवस था।
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