Khalistani Attacks in Punjab: खालिस्तानी मॉड्यूल के तर्ज पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर बादल से पहले अकाली दल के नेता हरचंद सिंह पर भी हो चुका है जानलेवा हमला, तो इसी मॉड्यूल के तर्ज पर 1983 में DIG ए एस अटवाल को मारी गई थी गोलियां। 4 दिसंबर को पंजाब के अमृतसर गोल्डन टेंपल में हुए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के ऊपर हत्या के इरादे से नारायण सिंह चौड़ा नाम के आतंकी द्वारा चलाई गई गोली का तरीका बिल्कुल वैसे ही था जैसे 41 साल पहले गोल्डन टेंपल में एक आईपीएस अधिकारी पर चलाई गई थी गोलियां। दोनों फायरिंग की वारदात खालिस्तानी तरीके से मतलब प्वाइंट ब्लैक रेंज से चलाई गई थी गोलियां।
खालिस्तानी स्टाइल से हमला
आतंकी नारायण सिंह चौड़ा भी 4 दिसंबर को उसी स्टाइल में मतलब प्वाइंट ब्लैक रेंज सुखबीर सिंह बादल पर गोली गलाई थी।उसका इरादा सुखबीर सिंह बादल को जान से मारना था। लेकिन सुखबीर सिंह बादल की सुरक्षा में तैनात अस्सिटेंट सब इंस्पेक्टर जसबीर सिंह हमलावर की कोशिश को नाकाम कर दिया था। जानकारी के मुताबिक आज से करीब 41 साल पहले पंजाब पुलिस के DIG ए एस अटवाल की हत्या प्वाइंट ब्लैक रेंज से खालिस्तानी स्टाइल से हमला किया गया था। ए एस अटवाल पर हमला उस वक्त हुआ था जब वह गोल्डन टेंपल में अरदास करके लौट रहे थे। तरीका बिल्कुल वैसे ही जैसे गोल्डन टेंपल के अंदर 4 दिसंबर को सुखबीर सिंह बादल को नारायण सिंह चौड़ा करीब से आकर गोली मारना चाहता था। ठीक उसी तरीके से हमलावर गोल्डन टेंपल के अंदर आकर बेहद करीब से उन्हें गोली मारी गई थी जिसमें उनकी मौत हो गई थी।
सुखबीर सिंह बादल की तरह ही 20 अगस्त 1985 में अकाली दल के प्रधान रहे हरचंद सिंह लोंगेवाला की हत्या कर दी गई थी। पंजाब के पटियाल से करीब 90 किलोमीटर दूर शेरपुर गांव के एक गुरुद्वारे के पास उनपर गोलियां चलाई गई थी, जिस हमले में उनकी मौत हो गई थी। हरचंद सिंह लोंगेवाला की हत्या की में जुटी पंजाब पुलिस ने ये खुलासा किया था कि इस हत्या के पीछे खालिस्तान सोच वाले प्रतिबंधित संगठन के लोग इसमें शामिल थे।
कई बड़े नामों को बनाया गया निशाना
सुखबीर सिंह बादल पर हुए हमले के साथ अकाली नेता हरचंद सिंह लोंगेवाला और पंजाब पुलिस के आईपीएस एएस अटवाल के साथ ऐसे कई बड़े नाम है जिन पर पंजाब में जानलेवा हमला किया गया और इस हमले में उनकी मौत हो गई। 6 अगस्त 2016 को पंजाब के जालंधर में पंजाब के आरएसएस प्रांत सह संघ संचालक जगदीश गगननेजा की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी, इस हमले में उनकी मौत हो गई थी। वारदात वाले दिन जगदीश गगननेजा अपनी पत्नी के साथ बाजार से लौट रहे थे। तीन हमलावरों ने 5 राउंड गोलियां चलाई थी जगदीश पर। हमले के बाद उन्हें लुधियाना अस्पताल में भर्ती कराया गया था ,जहां एक लंबे ईलाज के बाद उनकी मौत हो गई थी। आरएसएस नेता जगदीश की हत्या की जिम्मेदारी दशमैश रेजिमेंट नाम की एक संगठन ने ली थी। दरअसल इस संगठन का ये मानना था कि जगदीश सिख पंथ विरोधी थे। जांच में ये पता चला था कि गगननेजा को मारने की सुपारी इटली से दी गई थी।