पेरिस। फ्रांस में संसदीय चुनाव के लिए रविवार को हुए दूसरे चरण के मतदान के बाद एग्जिट पोल (चुनाव बाद सर्वेक्षण) में दावा किया गया कि नया वामपंथी गठबंधन सबसे अधिक सीट जीत सकता है। इन सर्वेक्षण के मुताबिक, राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों की अगुवाई वाला गठबंधन दूसरे जबकि धुर-दक्षिणपंथी दल तीसरे स्थान पर रह सकते हैं। किसी भी एक गठबंधन को बहुमत न मिलने से फ्रांस में राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल देखने को मिल सकती है। चुनाव के अंतिम परिणाम सोमवार की सुबह तक आने की उम्मीद है।
फ्रांस की संसद का कार्यकाल 2027 में खत्म होना था, लेकिन यूरोपीय संघ में नौ जून को बड़ी हार मिलने के बाद राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने समय से पहले संसद भंग कर बड़ा जुआ खेला है। इस मध्यावधि चुनाव के परिणाम से यूरोपीय वित्तीय बाजारों, यूक्रेन के लिए पश्चिमी देशों के समर्थन और वैश्विक सैन्य बल एवं परमाणु शस्त्रागार के प्रबंधन के फ्रांस के तौर-तरीके पर काफी प्रभाव पड़ने की संभावना है। इस चुनाव में करीब चार करोड़ 90 लाख मतदाता मतदान के लिए पंजीकृत थे और यह चुनाव तय करेगा कि नेशनल असेंबली पर किसका नियंत्रण होगा तथा प्रधानमंत्री कौन बनेगा।
अगर मैक्रों की पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है तो उन्हें यूरोपीय संघ-समर्थक नीतियों का विरोध करने वाले दलों के साथ सत्ता साझा करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इससे पहले 30 जून को पहले चरण का चुनाव हुआ था, जिसमें मरीन ले पेन नीत ‘नेशनल रैली’ ने बढ़त बनाई थी।
चुनाव परिणाम को लेकर अब भी अनिश्चितता है। इससे पहले सर्वेक्षणों में अनुमान जताया गया था कि ‘नेशनल रैली’ 577 सीट वाली नेशनल असेंबली में सबसे अधिक सीट जीत सकती है, लेकिन वह बहुमत के लिए आवश्यक 289 सीट संभवत: नहीं जीत पाएगी। ‘नेशनल रैली’ का नस्लवाद और यहूदी-विरोधी भावना से पुराना संबंध है तथा यह फ्रांस के मुस्लिम समुदाय की विरोधी मानी जाती है। अनेक फ्रांसीसी मतदाता महंगाई और आर्थिक चिंताओं से परेशान हैं। वे राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के नेतृत्व से भी निराश हैं। मरीन ले पेन की आव्रजन विरोधी ‘नेशनल रैली’ पार्टी ने इस असंतोष को चुनाव में भुनाया है। नया वामपंथी गठबंधन ‘न्यू पॉपुलर फ्रंट’ भी व्यापार समर्थक मैक्रों और उनके मध्यमार्गी गठबंधन ‘टुगेदर फॉर द रिपब्लिक’ के लिए चुनौती पेश कर रहा है।
पेरिस में भड़की हिंसा
इस बीच, एग्जिट पोल में वामपंथी गठबंधन को बढ़त के अनुमान के बाद फ्रांस की सड़कों पर हिंसा भड़क उठी है। कुछ ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जिनमें नकाबपोश प्रदर्शनकारियों को सड़कों पर उत्पात मचाते, आग जलाते और फ्रांस के कुछ हिस्सों में आग लगाते हुए देखा जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने राजनीतिक तनाव बढ़ने की आशंका के चलते पूरे देश में 30,000 दंगा विरोधी पुलिस तैनात कर दी है।