Mahakumbh 2025: भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाले हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि भगवान शिव के भक्तों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में भगवान शिव के कई भक्तों के साथ-साथ नागा और अघोरी साधु भी हिस्सा लेंगे, जिन्हें भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है। भगवान शिव का संबंध महाकुंभ से भी है, जिसके बारे में आज हम आपको इस लेख में जानकारी देंगे।
समुद्र मंथन और विष की उत्पत्ति
आप में से बहुत से लोग यह कथा जानते होंगे कि अमृत पाने की चाह में दैत्यों और देवताओं ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। देवताओं और दैत्यों ने मंदार पर्वत को मथानी और वासुकी नाग को रस्सी बनाकर समुद्र मंथन किया। समुद्र मंथन के दौरान सबसे पहले विष निकला, जिसे न तो देवता चाहते थे और न ही दैत्य। विष के प्रभाव से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया, तब भगवान शिव ने इस विष को पीकर तीनों लोकों की रक्षा की।
भगवान शिव को चढ़ाया जाता है जल
भगवान शिव ने विष पीकर उसे अपने कंठ के ऊपर रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया। तभी से भगवान शिव को नीलकंठ भी कहा जाता है। भगवान शिव द्वारा पीये गये विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी ने भगवान शिव को जल चढ़ाया, भांग-धतूरे का लेप लगाया और भगवान शिव के शरीर पर दूध भी डाला। इन सभी चीजों की शीतलता के कारण भगवान शिव पर विष का प्रभाव कम हो गया। तभी से भगवान शिव को जल के साथ भांग, धतूरा, दूध आदि चीजें अर्पित की जाती हैं।
Mahakumbh 2025: भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाले हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि भगवान शिव के भक्तों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में भगवान शिव के कई भक्तों के साथ-साथ नागा और अघोरी साधु भी हिस्सा लेंगे, जिन्हें भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है। भगवान शिव का संबंध महाकुंभ से भी है, जिसके बारे में आज हम आपको इस लेख में जानकारी देंगे।
समुद्र मंथन और विष की उत्पत्ति
आप में से बहुत से लोग यह कथा जानते होंगे कि अमृत पाने की चाह में दैत्यों और देवताओं ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। देवताओं और दैत्यों ने मंदार पर्वत को मथानी और वासुकी नाग को रस्सी बनाकर समुद्र मंथन किया। समुद्र मंथन के दौरान सबसे पहले विष निकला, जिसे न तो देवता चाहते थे और न ही दैत्य। विष के प्रभाव से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया, तब भगवान शिव ने इस विष को पीकर तीनों लोकों की रक्षा की।
भगवान शिव को चढ़ाया जाता है जल
भगवान शिव ने विष पीकर उसे अपने कंठ के ऊपर रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया। तभी से भगवान शिव को नीलकंठ भी कहा जाता है। भगवान शिव द्वारा पीये गये विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी ने भगवान शिव को जल चढ़ाया, भांग-धतूरे का लेप लगाया और भगवान शिव के शरीर पर दूध भी डाला। इन सभी चीजों की शीतलता के कारण भगवान शिव पर विष का प्रभाव कम हो गया। तभी से भगवान शिव को जल के साथ भांग, धतूरा, दूध आदि चीजें अर्पित की जाती हैं।