Mahakumbh 2025: महाकुंभ का समय जब समाप्त होता है, तो अक्सर यह सवाल उठता है कि इसके बाद नागा संत कहां जाते हैं और उनकी दिनचर्या क्या होती है। इस सवाल का जवाब दिया है महाकुंभ के एक रुद्राक्ष बाबा चैतन्य गिरी ने, जिन्होंने इस बारे में अपने विचार साझा किए।
रुद्राक्ष बाबा चैतन्य गिरी का दृष्टिकोण
रुद्राक्ष बाबा ने इंडिया टीवी से खास बातचीत में कहा कि कुंभ के बाद हर नागा अपनी मंजिल की ओर बढ़ता है। कुछ हिमालय की ओर निकल जाते हैं, कुछ सतपुड़ा, द्रोणागिरी, और किष्किंधा की तरफ जाते हैं। यह जगहें उनके लिए साधना और तपस्या के स्थान होती हैं, जहां वे अपने तप और साधना में लगे रहते हैं।
रुद्राक्ष बाबा ने यह भी बताया कि नागा संत सनातनी होते हैं और उनके जीवन में तीन ऋतुएं – सर्दी, गर्मी और बारिश – होती हैं। वे इन तीनों ऋतुओं को समान भाव से स्वीकार करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि जैसे इन ऋतुओं में प्रकृति का संतुलन होता है, वैसे ही हमारे अंदर भी संतुलन होना चाहिए। वे यह मानते हैं कि किसी भी कार्य में संलग्न होने से पहले, चाहे वह तपस्या हो या नौकरी, आत्मिक संतुलन और समर्पण की आवश्यकता होती है।