नई दिल्ली: किसान संगठनों द्वारा अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से दिल्ली जाने की इजाजत नहीं देने के कारण पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर शांतिपूर्ण संघर्ष छिड़ा हुआ है, लेकिन केंद्र उनकी जायज मांगों को पूरा करने के बजाय और राज्य सरकार ने उन पर गैर-विधायी उपाय लागू कर दिए हैं व किसानों को जबरदस्ती उत्पीड़न देते हुए उन्हें तोड़ने, मारने और घायल करने पर उतर आया है, जो एक लोकतांत्रिक देश की तटस्थता पर एक बड़ा सवाल उठाने के लिए दुनिया भर में आलोचना का केंद्र बन गया है। राज्य और सरकारी हिंसा देश के भीतर विरोध करने के बुनियादी संवैधानिक अधिकारों को कुचलकर शत्रुतापूर्ण देश रवैया अपना रही है, उनकी जितनी निंदा की जाये कम है यह कहना था दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य और शिरोमणि अकाली दल दिल्ली इकाई के महासचिव सरदार सुखविंदर सिंह बब्बर का,उन्होंने कहा की किसानों को दिल्ली नही जाने देना सरकार की नाकामी और न्याय पूर्ण नही।बब्बर ने बताया कि हिंसा के इस मामले के लिए जितना हरियाणा प्रदेश जिम्मेदार है, उतनी ही पंजाब में भगवंत मान की सरकार भी जिम्मेदार है, क्योंकि ये हमले पंजाब की धरती पर हो रहे हैं, लेकिन मान साहब केवल बातचीत के जरिए काम कर रहे हैं,जबकि उनके द्वारा व्यावहारिक रूप से इसके खिलाफ कोई ठोस नीति नहीं अपनाई गई है।हालांकि विदेशों में रह रहें सिख अपने-अपने माध्यम से उनका विरोध कर रहे हैं, लेकिन दुख की बात यह है कि कुछ लोग पंथ की एकमात्र पार्टी शिरोमणि अकाली दल को चेयरमैनी के लिए छोड़ रहे हैं जबकि मौजूदा हालात को देखते हुए पुराने और नये कार्यकर्ताओं का कर्तव्य है कि वे अपने मतभेद भुलाकर पार्टी को मजबूत करें ताकि सिखों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ बड़े पैमाने पर संघर्ष किया जा सके।
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