बिजनेस डेस्कः महंगाई के मोर्चे पर आम जनता को बड़ी राहत मिली है। सरकार ने आज (12 अगस्त) जुलाई महीने के रिटेल महंगाई के आंकड़े जारी किए। आंकड़ों के अनुसार, भारत की महंगाई दर जुलाई में घटकर 3.5 प्रतिशत पर आ गई, जो लगभग पांच वर्षों का सबसे निचला स्तर है। अगस्त 2019 के बाद यह पहली बार है जब महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मध्यम अवधि के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे आई है। पिछली तिमाही में यह दर 5.1 प्रतिशत थी। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) ने ये डेटा जारी किया है।
इस साल कैसी रही महंगाई दर?
जनवरी में रिटेल महंगाई 5.01% थी फरवरी में 5.09%, मार्च में 4.85%, अप्रैल में 4.83%, मई में 4.75% और जून में 5.08% रही है।
कहां बढ़ी और कहां घटी महंगाई (MoM)
- जुलाई में ग्रामीण इलाकों में महंगाई 4.1% रही, जून में 5.66% थी
- जुलाई में शहरी इलाकों में महंगाई 2.98% रही, जून में 4.39% थी
- जुलाई में खाद्य महंगाई दर 5.42% रही, जून में 9.36% थी
महंगाई कैसे प्रभावित करती है?
महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए यदि महंगाई दर 6% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 94 रुपए होगा। इसलिए महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।
CPI से तय होती है महंगाई
एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता है। हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है।
कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मेन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 300 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।