विदिशा। विदिशा जिले के रावण गांव के सरपंच प्रतिनिधि राजेश धाकड़ ने हाल ही में मथुरा-वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की। सरपंच ने जब प्रेमानंद महाराज से रावण मंदिर में पूजा पाठ का जिक्र किया तो वो अचंभित हो गए। प्रेमानंद ने बताया कि, रावण भगवान के प्रतिनिधि है।
दरअसल, भारत के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज से विदिशा के सरपंच ने मुलाकात कर बताया कि, जब उन्होंने संत प्रेमानंद को बताया कि विदिशा जिले का रावण गांव एक ऐसा गांव है जहां कोई भी शुभ कार्य करने से पहले रावण की पूजा की जाती है। रावण बाबा के नाम से रावण का मंदिर भी है। ये सुन कर संत प्रेमानंद महाराज अचंभित हो गए। उन्होंने कहा कि रावण भी भगवान के ही प्रतिनिधि है।
वहीं जब सरपंच ने संत प्रेमानंद महाराज से सवाल करते हुए पूछा कि वे रावण गांव के निवासी हैं और यहां पर रावण बाबा की पूजा होती है तो इसमें कोई दोस तो नहीं है? इसका जवाब देते हुए प्रेमानंद ने कहा कि, रावण की पूजा करने में कोई दोष नहीं है। क्योंकि हम रामायण की भी आरती उतारते हैं और उसकी पूजा करते है। उन्होंने कहा कि उसके अंदर भी तो रावण का जिक्र है तो कहीं ना कहीं हम रामायण की भी पूजा करते समय रावण की भी पूजा करते है। उन्होंने कहा कि रावण हमारे पार्षद प्रतिनिधि है रावण कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे।
चरित्र की होती है पूजा उन्होंने कहा हमारे यहां चरित्र की पूजा होती है रावण चरित्र से गिर गया था। इसलिए भगवान ने उसका अंत कर दिया आज भी जो लोग चरित्र से ऊंचे होते हैं वह पूजनीय होते हैं।
राजधानी भोपाल से लगभग 90 किलोमीटर दूर विदिशा जिले की नटेरन तहसील (Nateran) में रावन नामक गांव स्थित है। इस गांव के रावण बाबा का मंदिर है। कहा जाता है कि गांव में किसी के घर में शादी हो या कोई नए काम की शुरुआत, यहां सबसे पहले रावण बाबा की पूजा की जाती है। यहां यह प्रथा यहां कई वर्षों से चली आ रही है।
कौन है प्रेमानंद जी महाराज राधारानी के परम भक्त और वृंदावन वाले प्रेमानंद जी महाराज को भला कौन नहीं जानता है। प्रेमानंद जी महाराज कृष्ण की नगरी वृंदावन में भजन-कीर्तन करते हैं। वे भजन मार्ग व कथा के द्वारा मोक्ष प्राप्ति का ज्ञान देते हैं। आज के समय के वे प्रसिद्ध संत हैं। यही कारण है कि उनके भजन और सत्संग के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं प्रेमानंद जी महाराज को दर्शन दिए थे। इसके बाद वे घर का त्याग कर वृंदावन आ गए।
प्रेमानंद जी महाराज का जीवन परिचय प्रेमानंद जी महाराज के जीवन परिचय की बात करे तो उनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनका बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है। उनके पिता का नाम शंभू पांडे और माता का नाम रामा देवी है। बतादें कि, सबसे पहले प्रेमानंद जी के दादाजी ने संन्यास ग्रहण किया था। इसके बाद उनके पिता भगवान की भक्ति करते थे।
संत प्रेमानंद के परिवार में शुरू से ही भक्तिभाव का माहौल रहा। इसी का प्रभाव उनके जीवन पर भी देखने को मिला। प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि, जब वे 5वीं कक्षा में थे, तभी से गीता का पाठ शुरू कर दिया और इस तरह से धीरे-धीरे उनकी रुचि आध्यात्म की ओर बढ़ने लगी। वहीं उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान की जानकारी भी होने लगी। जब वे 13 साल के हुए तो उन्होंने ब्रह्मचारी बनने का फैसला किया। इसके बाद ही वे घर का त्याग कर संन्यासी बन गए।