लुधियाना: बढ़ती गर्मी के साथ बरसाती मौसम में बड़ रही उमस और लगातार हो रही बिजली कटौती ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों की पढ़ाई को बुरी तरह प्रभावित करके रख दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति तो और भी दयनीय है, जहां बिजली की समस्या पहले से ही गंभीर है।
कक्षाओं का तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे छात्रों का ध्यान पढ़ाई से हटकर गर्मी से बचने पर केंद्रित हो गया है। क्लासेज में बच्चे कापियों और किताबों को हाथ से हिलाकर उससे हवा लेकर अपना पसीना सुखाते आम देखे जा सकते हैं क्योंकि स्कूलों की क्लास में बच्चे बेशक ज्यादा हैं लेकिन पंखा केवल एक है। इस हालात में बच्चे क्या पढ़ाई करते होंगे इस बात का अंदाजा तो आसानी से लगाया जा सकता है। पंखे बंद होने से कक्षाएं तपती हुई भट्ठियों में तबदील हो गई हैं। छात्रों का कहना है कि उन्हें पढ़ाई करने के बजाय पसीना पोंछने में ही अधिक समय लग रहा है। शिक्षक भी इस स्थिति से काफी परेशान हैं। वे बताते हैं कि अघोषित बिजली कटौती के कारण वे छात्रों को ठीक से पढ़ा नहीं पा रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षण सामग्री दिखाने के लिए प्रोजेक्टर और कंप्यूटर का उपयोग करना तो दूर की बात है, बुनियादी शिक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा है। ऐसे में अभिभावकों के माता-पिता द्वारा स्कूलों के समय में बदलाव की मांग की जा रही है।
पीने के पानी की किल्लत
बिजली कटौती के कारण पानी की पंपिंग भी प्रभावित हो रही है। बिजली कटौती के कारण स्कूलों में पानी की टंकियां खाली हो जाती हैं, जिससे छात्रों को पीने के पानी तक के लिए भटकना पड़ रहा है। गर्मी के मौसम में पानी की कमी से छात्रों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
छात्रों का स्वास्थ्य खराब
लगातार गर्मी और पानी की कमी के कारण छात्रों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। कई छात्रों को चक्कर आना, सिरदर्द और उल्टी जैसी समस्याएं हो रही हैं। कुछ छात्र तो कक्षाओं से बीच में ही घर चले जाते हैं। विद्यार्थी अजय ने बताया, “बिजली नहीं होने के कारण कक्षाओं में बैठना मुश्किल हो गया है। पसीना आता रहता है और हम पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते।” बच्चों की सेहत और शिक्षा को लेकर अभिभावक काफी चिंतित हैं। वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह स्कूलों में बिजली की पर्याप्त व्यवस्था करे और छात्रों के स्वास्थ्य का ध्यान रखे।