लखनऊ. दलित राजनीति का प्रमुख चेहरा माने जाने वाली बसपा प्रमुख मायावती सियासी तौर पर अब कमज़ोर दिखने लगी हैं. वहीं दलितों के नए नेता के तौर पर चंद्रशेखर के आ जाने से दलित वोट बैंक में विकल्प की व्यवस्था हो गई है. 2007 में बसपा उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी, लेकिन अब उस वोट बैंक को सहेजकर रख पाने में मायावती को दिक्कत हो रही है. जिसका नतीजा 2024 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला जिसमे की संसद में एक भी नुमाइंदा बसपा का नहीं है.
मायावती की राजनीति समझना हो तो उनके वोट बैंक को डिकोड करने की आवश्यकता है. यूपी की राजनीति में 22 फीसदी वोट बैंक पर टिकी है, जिसमें 12 फीसदी जाटव और 10 फीसदी गैर जाटव हैं. मायावती खुद भी जाटव समुदाय से आती हैं इसलिए ये वोटबैंक उनके साथ हमेशा ही खड़ा रहा है. लेकिन अब भाजपा की सेंधमारी और समाजवादी पार्टी के पीडीए से मायावती के इस वोटबैंक पर भी असर पड़ने लगा है.
नए चेहरे और तेज़तर्रार नेतृत्व की है बसपा को तलाश
मायावती ने 24 चुनाव से पहले अपना उत्तराधिकारी अपने भतीजे को घोषित कर बसपा में युवा क्रांति पर ध्यान दिया है. आकाश आनंद ने बसपा की कई बैठकों में भी युवा राजनीति को तरजीह भी दी है. लेकिन राजनैतिक परिपक्वता के लिए आकाश पर पूरी तरह बसपा निर्भर नहीं हो सकती है. हालांकि, लोकसभा चुनाव के दरम्यान आकाश की रैलियां फिर उसमें आने वाली भीड़ से बसपा उत्साहित तो है, लेकिन वोटबैंक में लगातार गिरावट से बसपा परेशान भी है.
27 अगस्त को मिलेगा नया अध्यक्ष
बहुजन समाज पार्टी के मुखिया और बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने 27 अगस्त को पार्टी कार्यालय में बैठक बुलाई है. यह बैठक सुबह 10:00 बजे पार्टी कार्यालय पर बुलाई गई है. इस बैठक में सभी राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों को बुलाया गया है. इस बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुना जाएगा. बसपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के साथ बसपा अपना राष्ट्रीय एजेंडा भी तय करेगी. इस बैठक में बसपा राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हुए रणनीति के साथ आगे बढ़ाना है, इस पर भी विचार विमर्श करेगी. बहुजन समाज पार्टी के संविधान के अनुसार बसपा में 5 साल में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है. साल 2019 में बसपा सुप्रीमो मायावती को सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था. इससे पहले अगस्त 2019 में मायावती को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था. इस कार्यकारिणी बैठक में राष्ट्रीय और प्रदेश पदाधिकारियों के साथ मंडल प्रभारी और जिला अध्यक्ष शामिल होंगे.