जनवरी का महीना खत्म होने वाला है और फरवरी की पहली तारीख को संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2024 पेश करेंगी। चुनावी साल होने के कारण इस साल का बजट एक अंतरिम बजट होगा। अक्सर लोगों के मन में बजट को लेकर कई सवाल रहते हैं। इसमें से एक हैं कि…
साल 2017 में बदली गई थी परंपरा
केंद्र सरकार हर साल नए वित्त वर्ष की शुरुआत से पहले आगामी वित्त वर्ष के व्यय और राजस्व का ब्यौरा पेश करती है। इसके बाद सरकार इस बजट को संसद के दोनों सदनों से पास करवाती है। देश में बजट पेश करने की शुरुआत ब्रिटिश काल में ही 1860 में हुई थी। साल 2017 से पहले देश का बजट फरवरी के आखिरी महीने में पेश किया जाता था लेकिन उस समय के तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट की 92 साल पुरानी परंपरा में बदलाव करते हुए इसे 1 फरवरी को पेश करने का फैसला किया था। इसके बाद से लेकर अब तक हर साल बजट 28 या 29 फरवरी के बजाय 1 फरवरी को पेश किया जाता है।
क्यों हुआ बदलाव?
बजट की परंपरा में बदलाव करते हुए उस समय के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि बजट को फरवरी के अंत में पेश करने से सरकार के पास इसे प्रभावी करने का वक्त नहीं मिलता है। नया नियम 1 अप्रैल से प्रभावी होता है। ऐसे में सरकार के पास इसके लिए ज्यादा वक्त हो, इस कारण बजट की तारीख को 28 फरवरी से बदलकर 1 फरवरी कर दिया गया था।
अलग से रेलवे बजट नहीं होता है पेश
नरेंद्र मोदी सरकार में बजट की कई परंपरा में बदलाव हुआ था। इसमें रेलवे बजट भी शामिल है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के पहले तीन साल में अलग रेल बजट पेश होता था लेकिन साल 2017 में इसे बंद कर दिया गया था। अब आम बजट के साथ ही रेलवे बजट भी पेश किया जाता है।
शाम 5 बजे पेश किया जाता था बजट
1999 तक केंद्रीय बजट फरवरी के अंतिम दिन शाम 5 बजे पेश किया जाता था। यह समय ब्रिटेन के समय से तय हुआ था। बजट ब्रिटेन में सुबह 11 बजे बजट पेश किया जाता था, जो भारत में शाम पांच बजे था। 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इसे हटाकर सुबह 11 बजे कर दिया। तर्क यह था कि बजट पर गहन चर्चा के लिए पर्याप्त समय मिलता है।