नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में हाल में पारित तीन नए अपराध न्याय अधिनियम के संशोधित संस्करण पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि पहली बार हमारे संविधान की भावना के हिसाब से कानून पीएम मोदी के नेतृत्व में बनने जा रहे हैं. 150 साल बाद इन तीनों कानूनों को बदलने का मुझे गर्व है.
गृहमंत्री ने कहा कि हम राजद्रोह की जगह देशद्रोह लेकर आए हैं. आईपीसी ने राजद्रोह को ‘सरकार के खिलाफ कार्य’ के रूप में परिभाषित किया था. लेकिन BNS प्रावधान उन लोगों के लिए है, जो देश की संप्रभुता, सुरक्षा को प्रभावित करते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की आलोचना तो कोई भी कर सकता है. सरकार की आलोचना करने पर कोई जेल नहीं जाएगा. लेकिन कोई भी देश के ख़िलाफ़ नहीं बोल सकता.
राजद्रोह कानून को किया पूर्णत: समाप्त
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि अब अंग्रेजों का शासन नहीं है, ये कांग्रेस का शासन नहीं है, ये भाजपा और नरेन्द्र मोदी का शासन है. यहां आतंकवाद को बचाने की कोई दलील काम नहीं आएगी. अंग्रेजों द्वारा बनाया गया राजद्रोह का कानून, जिसके तहत तिलक महाराज, महात्मा गांधी, सरदार पटेल सहित बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानी सालों साल जेल में रहे और वह कानून आज तक चलता रहा. पहली बार मोदी सरकार ने राजद्रोह कानून को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया.
मन ही इटली का है तो समझ नहीं आएगा
अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग कहते थे कि हम इन विधेयकों ने नहीं समझते, मैं उन्हें कहता हूं कि मन अगर भारतीय रखोगे तो समझ में आ जाएगा. लेकिन अगर मन ही इटली का है, तो कभी समझ नहीं आएगा. उन्होंने कहा कि हमने कहा था कि हम धारा 370 और 35-A हटा देंगे, हमने हटा दिया. हमने वादा किया था आतंकवाद को समाप्त कर देंगे, जीरो टॉलरेंस की नीति बनाएंगे और सुरक्षा कर्मियों को फ्री हैंड देंगे, हमने दिया.
मॉब लिंचिंग के लिए फांसी की सजा
लोकसभा में गृहमंत्री ने कहा कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से नए भारत की कानून व्यवस्था अत्याधुनिक होगी. साथ ही कहा कि मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है और हम नए कानून में मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कर रहे हैं. लेकिन मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि आपने भी वर्षों देश में शासन किया है, आपने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनाया? आपने मॉब लिंचिंग शब्द का इस्तेमाल सिर्फ हमें गाली देने के लिए किया, लेकिन सत्ता में रहे तो कानून बनाना भूल गए. आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी.