कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि अरावली पहाड़ियों के मामले में आदेश के बाद अब उच्चतम न्यायालय को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के विषय पर भी हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि यह संस्था बिना किसी भय या पक्षपात के और कानून के अनुरूप स्वतंत्र रूप से कार्य कर सके। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि पिछले एक दशक में एनजीटी की शक्तियों को पूरी तरह से कमज़ोर कर दिया गया है।रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “कल उच्चतम न्यायालय ने अरावली की परिभाषा में बदलाव को लेकर 20 नवंबर, 2025 को दिए गए अपने ही फैसले को स्वतः संज्ञान लेते हुए वापस ले लिया। जबकि मोदी सरकार ने उस फैसले को पूरे उत्साह के साथ अपनाया था। उच्चतम न्यायालय का यह कदम अत्यंत आवश्यक और स्वागतयोग्य था।” उन्होंने कहा कि अब पर्यावरण से जुड़े तीन अन्य अत्यंत महत्वपूर्ण और तात्कालिक मुद्दे हैं, जिन पर माननीय उच्चतम न्यायालय को अरावली मामले की तरह ही स्वतः संज्ञान लेकर हस्तक्षेप करना चाहिए।
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