नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट में ‘पाठ्यक्रम से बाहर’ का प्रश्न पूछे जाने का आरोप लगाने वाले एक अभ्यर्थी की याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि वह विशेषज्ञों के ज्ञान पर संदेह नहीं कर सकती और उसके स्थान पर अपनी राय नहीं रख सकती। उच्च न्यायालय ने कहा कि अदालतें विषय विशेषज्ञ नहीं हैं और उन्हें केवल विषय पर कानून और विशेष मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों में इसके आवेदन के आधार पर ही निर्णय लेना चाहिए।याचिकाकर्ता ने दावा किया कि भौतिकी खंड में एक प्रश्न रेडियोधर्मिता पर आधारित था, जबकि रेडियोधर्मिता विषय इस वर्ष की राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) के पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं था। अदालत ने कहा कि यह विशेष प्रश्न परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा गठित विषय विशेषज्ञों के समक्ष रखा गया था और उन्होंने अपनी राय दी है कि पाठ्यक्रम में ‘परमाणु और नाभिक’ अध्याय के अंतर्गत अध्याय संख्या 18 में ‘नाभिक की संरचना और आकार’ तथा ‘परमाणु द्रव्यमान’ शामिल हैं।
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