लोकसभा ने विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र स्व-शासन वाले संस्थान बनाने के उद्देश्य से लाए गए ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025’ को मंगलवार को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने को मंजूरी दी। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विधेयक को संयुक्त समिति के पास भेजे जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से स्वीकृति प्रदान की। प्रधान ने सोमवार को यह विधेयक लोकसभा में पेश किया था, जिसका कुछ विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया था। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए कहा था कि यह शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता का उल्लंघन करता है और उनकी स्वतंत्रता का क्षरण करता है। उन्होंने कहा कि इससे, राज्य कानून के तहत स्थापित शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता प्रभावित होगी। वहीं, आरएसपी के एन. के. प्रेमचंद्रन ने विधेयक के हिंदी नाम को लेकर विरोध दर्ज कराते हुए कहा था कि दक्षिण भारत के सांसदों को इसका उच्चारण करने में दिक्कत हो रही है। उन्होंने कहा कि इसका नाम अंग्रेजी में होना चाहिए।
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