नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने दैनिक जीवन को प्रभावित करने वाले उन पर्यावरणीय मुद्दों को हल तलाशने की कोशिश की, जिनमें से कुछ ने राष्ट्रीय राजधानी में लोगों को 2024 में बढ़ते प्रदूषण के स्तर और घटती वायु गुणवत्ता के बीच सांस लेने के लिए मजबूर कर दिया। हरित निकाय के समक्ष अन्य मुद्दे जल निकायों में प्रदूषण और ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन से संबंधित थे।
बढ़ते प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने के लिए एजेंसियों ने विभिन्न रिपोर्टें दाखिल कीं, लेकिन सच्चाई यह है कि सर्दियों की शुरुआत के साथ ही दिल्लीवासियों की सांस फूल गई। दिसंबर में, स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करने वाले प्राथमिक प्रदूषक पीएम 2.5 का खतरनाक स्तर दर्ज किया गया। 35 निगरानी स्टेशनों में से 32 ने वायु गुणवत्ता को गंभीर-प्लस श्रेणी में दर्ज किया और कुछ क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 470 दर्ज किया गया।
एनजीटी ने स्थिति पर कड़ी नजर रखी और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को एक व्यापक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया। इसने एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई करने और प्रदूषण विरोधी उपाय ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’ (जीआरएपी) के विभिन्न चरणों का पालन करने में पारदर्शिता रखने का आदेश दिया।