नई दिल्ली। रोहित शर्मा और विराट कोहली को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मौजूदा टेस्ट श्रृंखला के दौरान अपने विकेट गंवाने के तरीके के कारण आलोचना का सामना करना पड़ रहा है लेकिन युवा शुभमन गिल, यशस्वी जयसवाल और ऋषभ पंत भी क्रीज पर समय बिताने के लिए जरूरी धैर्य नहीं दिखा रहे जिससे टीम की समस्या काफी बढ़ गयी है।
टेस्ट मैच में बल्लेबाजी में धैर्य सबसे बड़ा हथियार है और यह खिलाड़ी में समय के साथ विकसित होता है। कोहली 2014 से 2019 के बीच जब अपने स्वर्णिम दौर में थे तब उन्होंने इस धैर्य को अच्छे से दिखाया था। लोकेश राहुल ने अपनी शानदार तकनीक के दम पर वर्तमान श्रृंखला के दौरान पर्थ और ब्रिसबेन में क्रमश: 77 और 84 रन की पारी खेल इन परिस्थितियों से निपटने के तरीके के बारे में बताया है।
जायसवाल की बात करें तो पर्थ में दूसरी पारी में 161 रन को छोड़कर उन्होंने निराश ही किया है। वह जिस तरह से क्रीज के पास कदमों का इस्तेमाल करते है उससे पगबाधा होने का खतरा बना रहता है। गिल ऑफ स्टंप के बाहर वाली गेंदों को शरीर से दूर खेलते हुए ड्राइव लगाने को आतुर हो रहे हैं और इस कोशिश में लगातार अपना विकेट गंवा रहे है। अपने आक्रामक रवैये के लिए पहचाने जाने वाले पंत भी क्रीज से पांच मीटर दूर टप्पा खाकर उछाल लेने वाली गेंदों से सामंजस्य नहीं बैठा पा रहे है। मुख्य कोच गौतम गंभीर और उनके सहायक अभिषेक नायर इस समस्या का समाधान ढूंढ सकते हैं। नायर को मुंबई क्रिकेट जगत में ‘माइंड कोच और लाइफ कोच के मिश्रण’ के तौर पर जाना जाता है।