कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने सोमवार को कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति ने विपक्ष की बात नहीं सुनी और दावा किया कि समिति का उद्देश्य सिर्फ़ राजनीतिक था। आपने विपक्ष के सभी 44 संशोधनों को खारिज कर दिया और सत्ता पक्ष के सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया। आप हमारी बात नहीं सुन रहे हैं। क्या यह जेपीसी थी या औपचारिकता? इस जेपीसी का उद्देश्य राजनीतिक था।” कार्यों की सूची के अनुसार, वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर जेपीसी रिपोर्ट आज सदन में पेश नहीं की जाएगी। रिपोर्ट 30 जनवरी, 2025 को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपी गई। उसी दिन जगदंबिका पाल संसद पहुंचे और स्पीकर से मुलाकात कर बिल पर समिति की अंतिम रिपोर्ट सौंपी।
उन्होंने कहा कि “हमारे सामने 44 खंड थे, जिनमें से 14 खंडों में सदस्यों द्वारा संशोधन प्रस्तावित किए गए थे। हमने बहुमत से मतदान किया और फिर इन संशोधनों को अपनाया गया।” वक्फ संपत्तियों को विनियमित करने के लिए अधिनियमित वक्फ अधिनियम 1995 की लंबे समय से कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण जैसे मुद्दों के लिए आलोचना की जाती रही है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट, बेहतर पारदर्शिता और अवैध रूप से कब्जे वाली संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी तंत्र जैसे सुधारों को पेश करके इन चुनौतियों का समाधान करना है।