कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करने वाले मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर इस द्वीपीय देश की सत्ता के शिखर तक पहुंचने का रास्ता काफी उतार चढ़ाव के साथ तय किया है। इस उपलब्धि को हासिल करने की अपनी यात्रा में उन्होंने खुद को युवा मतदाताओं और पारंपरिक राजनेताओं की ‘भ्रष्ट राजनीति’ से थक चुके लोगों के लिए एक रहनुमा के रूप में पेश किया।
प्रधान न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने सोमवार को राष्ट्रपति सचिवालय में श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति के रूप में 56 वर्षीय दिसानायके को शपथ दिलाई। इस पद पर उनका पहुंचना उनकी आधी सदी पुरानी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के लिए भी एक उल्लेखनीय बदलाव है, जो लंबे समय से हाशिये पर थी। वह देश के प्रमुख बनने वाले श्रीलंका के पहले मार्क्सवादी नेता हैं।