मथुरा: सतयुग के बाद इसी दिन से त्रेता युग की शुरूवात के कारण अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। ब्रजभूमि में इस दिन मन्दिरों में भक्ति रस की गंगा प्रवाहित होती है। इस दिन किया गया पुण्य कार्य अक्षय होने के कारण इस दिन गिर्राज की सप्तकोसी परिक्रमा करने की होड़ सी मच जाती है। इस दिन दानघाटी मन्दिर में गिर्राज जी को चन्दन श्रंगार से जगाया जाता है तथा इस दिन की मंगला के दर्शन करने का विशेष महत्व इसलिए है।
ठाकुर जी इस दिन वर्ष में एक बार चन्दन श्रंगार के साथ भक्तों को दर्शन देते हैं।मन्दिर के सेवायत आचार्य पवन कौशिक ने बताया कि इस दिन ठाकुर के भोग में आम, खरबूजा, शर्बत एवं सत्तू का समावेश ठाकुर को शीतलता प्रदान करने के लिए किया जाता है। गोवर्धन पीठाधीश्वर शंकराचार्य अधोक्षजानन्द देव तीर्थ ने बताया कि इस पावन दिवस पर भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम ने महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका देवी के घर में जन्म लिया था तथा इसी दिन सुदामा ने श्रीकृष्ण को चावल भेंट किये थे।