पर्थ। क्रिकेट खेलने का सपना पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश से 11 बरस की उम्र में ट्रेन पकड़कर मुंबई पहुंचे यशस्वी जायसवाल मैदानकर्मियों के साथ टेंट में रहे और रात को पानी पुरी बेचकर अपना गुजारा चलाया लेकिन अतीत के इन संघर्षों ने उन्हें मैदान के भीतर और बाहर हर लड़ाई के लिए तैयार कर दिया। कारपेट बनाने के लिए मशहूर भदोही से ऑस्ट्रेलिया के पर्थ तक जायसवाल का सफर उनकी लगन, प्रतिबद्धता और जिजीविषा की कहानी कहता है। इन संघर्षों से मिले अनुभव का इस्तेमाल वह मैदान के भीतर और बाहर की हर लड़ाई जीतने के लिये कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यहां पहले टेस्ट में शानदार शतक जमाने वाले जायसवाल को विराट कोहली के बाद भारतीय बल्लेबाजी का अगला सितारा माना जा रहा है।
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